व्यक्ति गुणों की खान है और साथ ही गुनाहों का दलदल भी...
अब देखना ये है कि हमें गुनाहों के दलदल में दफ़न होना है कि गुणों के पारस पत्थर से छू कर सोने में परिवर्तित होना है....
गुनाहों के दल दल को तो आज का मानव बाखूबी समझता भी है,जानता भी है और मानता भी है इसी के साथ उस में स्वयं कूदता भी है,किसी का हाथ थामता भी है और फिर ईश्वरीय दया से आँखों से ओझल भी हो जाता है उसी दलदल में....
गुणों के पारखी कम हैं
गुनाहों के देवता ज़यादा......
गुणों के कद्रदान उँगलियों पर गिने जा सकते हैं ....वे अपनी लड़ाई अपने स्तर पर अकेले ही लड़ते नज़र आते हैं....
गुनाहों के दलदली घोड़े हिनहिनाते,धमकाते और दुलत्ती मारते सब को चारों खाने चित्त करने में जुटे रहते हैं....
गुणी की लड़ाई को अवसरवादिता,निरंकुशता और अराजकता आदि नामों से नवाज़ा जाता है.....
उन्हें येन केन प्रकारेण विवादों में घसीटा जाता है....
परन्तु
ये गुणों के कद्रदान न जाने किस मिटटी के बने हैं और देश प्रेम का क्या जूनून उन पर सवार है कि वे टस से मस नहीं होते....
अर्जुन सा लक्ष्य ले वे एक राह पकडे रहते हैं....अपमान का घूंट पीते रहते हैं और अपनी चुनी हुई राह पर बढ़ते चले जाते हैं.....
और
गुनाहों के पक्षधर ???
वे अंतत: दलदल के अंधियारे में बेनाम दफ़न हो जाते हैं....
आज के सन्दर्भ में ही बात करते हैं.....
भ्रष्टाचार के दलदल में गोते लगाते राष्ट्रीय दामाद एक भद्दा दाग हैं सासू माँ पर.....
पहले तो इतना छोटा सा घोटाला कर बी पी एल श्रेणी के भ्रष्टाचारियों में अपना नाम दर्ज करा दिए और फिर अपने आप को घिरते देख सासू माँ के शासन पर ही कीचड उछाल दिए -बनाना रिपब्लिक कह के....
वो सासू माँ जो देश के शासन कुशासन पर कभी मुंह न खोलती थी को भी राष्ट्रीय दामाद के लिए मुंह खोलना पड़ा.......
खैर इतने बड़े तमगे के बाद तो मानो होड़ ही लग गयी अपनी वफादारी दिखाने की....
सब मंत्री लग गए मिजाजपुर्सी में......
होड़ लगी है भाई मेडम को अपनी मेडम भक्ति दिखाने की - कोई जान देने को तैयार है तो कोई जान लेने को....
चलिए इन के तो ये दामाद हैं -
अब आते हैं खरी खरी पर.....
जिन के दामाद नहीं भी हैं उन के मुंह पर ताले क्यों लग गए ???
कल एक मिमियाता स्वर सुनाई पड़ा ....
केजरीवाल के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं वाड्रा के खिलाफ.....
अरे भाई इतने सबूतों के बाद तो थर्ड डिग्री ही बचता है....
वो करवाने की ताकत न पक्ष में है न विपक्ष में.....
हमाम में सब नंगे हैं......
तो जनता 2014 तक राम भजो......
और
स्मरण शक्ति का ह्वास न होने पाए इस के लिए शंखपुष्पी और बादाम ( यदि बनाना रिपब्लिक की महंगाई खरीदने दे ) लेते रहें.....
अब चोट जो करनी है पक्ष विपक्ष की इस सोच पर कि आम आदमी की याददाश्त कमज़ोर है...
अब आप का litmus test है 2014 में....
देखते हैं क्या रंग लाती है जनता की मुहीम........
वन्दे मातरम्.......
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