Thursday, October 4, 2012

आज की राजनीति का स्वरुप

हारता जो नहीं मुश्किलों से कभी ,
जिसका मकसद है मंजिल को पाना ,
धूप में देखकर थोड़ी सी छाया ,
जिसने सीखा नहीं बैठ जाना ,
आग जिसमे "लगन " की जलती है ,
"कामयाबी " उसी को मिलती है ...

 हमें अब एक ऐसी राजनीति की शुरुआत करनी होगी जिस में हम हर सही बात को सही और गलत कार्य को गलत कहने का दम रख सकें...

तुष्टिकरण की नीति फिर चाहे वो किसी भी जाति या सम्प्रदाय या फिर बहुसंख्यक या अल्पसंख्यकवाद क्यों न हो को हमें नकारना है ...


हम में देश प्रेम का वो जज्बा होना होगा जिस के सामने हर पार्टी की पोलिटिक्स शून्य हो...


कहने का तात्पर्य है कि हम सब एक ऐसी नयी पार्टी बनाएं जहाँ हर अच्छे कार्य की प
्रशंसा की जाए फिर वे चाहे किसी भी पार्टी द्वारा किया गया हो....

देश प्रेम सर्वोपरि और तुच्छ स्वार्थ नगण्य.......

यदि हम इन मापदंडों पर खरे उतारते हैं तो यकीन कीजिये हम एक लम्बी रेस का घोडा साबित होंगे......

हमें कोई भी तुष्टिकरण की नीति,कोई अलगाववाद या किसी भी जातिवाद का सहारा न लेना पड़ेगा...

धीरे धीरे हमारे रुख को जनता स्पष्ट रूप से देखेगी और जानेगी और मानेगी....

ज़रुरत है तो हमें अपने आदर्शों पर चलते रहने की और डटे रहने की.....

जीत हम जनता की ही होगी.......

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