Monday, August 12, 2019

सरकार ने अपना काम कर दिया , अब हमारी बारी है ...

न काहू से दोस्ती ना काहू से बैर 

कश्मीर - धरती का स्वर्ग पर भारतवासियों के लिए बहुत समय से सिरदर्द बना हुआ... 

आप प्रश्न करेंगे , उत्तेजित होंगे - थमिये - जज़्बात काबू में रखिये और कृपया आगे पढ़ते जाइये...
एक लम्बी लड़ाई के बाद हमें आज़ादी मिली , पर फूट डाल कर राज करने की अंग्रेजी नीति ने हमारे भू भाग को दो टुकड़ों में बाँट दिया , दिल नहीं बंटे थे , बस कुछ स्वार्थी राजनीतिज्ञ अपनी रोटियां सेकने में कामयाब हुए थे , आम जनता को यकीन था कि बंटवारा नहीं होगा - वो हुआ - और स्वार्थी तत्वों ने कत्ले आम मचाया और दिल के टुकड़े हो गए ...
कश्यप ऋषि की भूमि पर हिन्दु और मुसलमान दोनों बसते थे , पड़ौसी देश ने उसे हड़पने की कोशिश की , कबीलियाईयों के भेस में अपने सैनिक भेजे पर नाकामयाब रहे ...
कश्मीर के राजा ने भारत के साथ को मंज़ूर किया और कश्मीर का विलय भारत में हो गया - कुछ शर्तों के साथ ...
हाँ शर्तें हमें मंज़ूर थीं पर गद्दारी नहीं ...
खैर शुरूआती दौर के राजनीतिज्ञों की गलती के कारण भारत में विलय हुआ कश्मीर हम से थोड़ा थोड़ा छिटकता रहा , राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव में मर्ज़ बढ़ता गया ज्यूँ ज्यूँ दवा की ...
कमज़ोर नीतियों के कारण अलगाववादी व् राजनीति के स्वार्थी खिलाड़ी कश्मीर में अपना खेल खेलते रहे ...
कश्मीरी पंडित एक सोची समझी साज़िश के तहत अपने घरों को छोड़ने को मज़बूर हुए , सरकार न चेती ...
घाव नासूर की शक्ल इख्तियार करने लगा ...
इन सब बातों के बीच हम आम भारतीय उन मासूम कश्मीरी भाई बहनों के दर्द की और से नावाकिफ रहे जो अलगाववादियों और राजनीतिज्ञों के हाथों स्वर्ग की जगह नरक में बसने को मज़बूर रहे - उन के स्वर्ग को स्वार्थी तत्वों ने अपनी हवस के कारण नरक में तब्दील कर डाला ...
भारतीय सरकारें कश्मीरी जाल से निकलने में अक्षम रहीं ...
भोगते रहे मासूम कश्मीरी ...
कभी सोचा है अपने बच्चों को अनपढ़ और नासमझ होने के कारण अलगाववादियों के हाथों का मोहरा बनते देख कर उन माँ बाप के दिल पर क्या बीतती होगी ?
उन की दहशत का अंदाजा लगा सकते हैं जिन के बच्चे आज़ाद कश्मीर के नाम पर हिंसा की और धकेल दिए जाते होंगे ?
अंदाज़ा लगाइये उन माँ बाप के जज़्बातों का वो जब देखते होंगे कि उकसाने वाले अलगाववादी व् राजनेताओं के बच्चे कश्मीर से दूर सुरक्षित माहौल में पढाई कर रहे हैं और उन के बच्चे आज़ादी के नाम पर बलि चढ़ाये जा रहे हैं ...
सोचिये जब वो मजबूर माँ बाप भारतीय सरकार से आये टैक्स के पैसों से अलगाववादी नेताओं और स्वार्थी राजनीतिज्ञों को ऐश करते देखते होंगे , सिक्योरिटी में रहते देखते होंगे और उन के बच्चे और वो दहशत में जीते होंगे तब उन के दिल पर क्या बीतती होगी ?
ये सब उन्हीं अधिनियमों के कारण हुआ जिन के कारण आम कश्मीर वासी तो अलग थलग पड़ गया और नेता ऐश कर गए ...
आम कश्मीरी सम्पूर्ण भारत से कटा एक देशनिकाला मिले हुए नागरिक की तरह वो ही सुनता और समझता रहा जो उसे जानबूझ कर समझाया जाता रहा , वो अपने देश भारत का नागरिक तो बना ही नहीं ...
अब सही समय है उस को सकारात्मक परिवर्तन दिखाने का - उसे एक भारतीय नागरिक के अधिकारों से रूबरू करवाने का , उसे बताने का कि किस आज़ादी से वो आज तक वंचित रहा...
अब हम भारतीयों का ये कर्तव्य है कि हम कश्मीर में उन के साथ बसें और उन की आशंकाओं को निर्मूल साबित करें - हम उन को ये बताएं कि स्वार्थी तत्वों ने उन को आज तक किन किन खुशियों से महरूम रखा ...
हमें उन में हर धर्म का आदर व् सम्मान करने की अपनी भारतीय आदत से पहचान करवानी होगी , उन्हें हर त्यौहार पर खुशियां मनाना सिखाना होगा और सब से बड़ी बात उन्हें अपनी अच्छाइयों से परिचित करवाना होगा और ये सब बहुत संयम मांगेगा और वो हम में कूट कूट कर भरा है ...
कश्मीर हिन्दुस्तान का अभिन्न अंग है - हमें ये उन्हें समझाना होगा और वो हम उन का भरोसा जीत कर ही कर सकते हैं ...
- सरकार ने अपना काम कर दिया , अब हमारी बारी है ...