*आपत्ति काले , मर्यादा नास्ति *
अजमेर में ज़िला प्रशासन द्वारा इस कोविड burst में चेटीचंड , महावीर जयंती पर जुलूस निकालने की अनुमति साथी नागरिकों को दे दी गयी है।
जब धर्म के साथ राजनीति मिल जाती है तो ऐसे ही दबाव वाले , नागरिक हित से परे निर्णय लेने को प्रशासन बाध्य हो जाता है।
दो गज़ दूरी , मास्क है ज़रूरी का नियम हम सब मिलकर भी follow नहीं करवा पा रहे तो क्या जुलूस में ये नियम पालन हो पाएँगे ?
आपत्ति काल में सही ग़लत नहीं देखा जाता ...
प्रदेश में उप चुनाव हैं और प्रदेश की कांग्रेस सरकार विपक्ष को भुनाने के लिए कोई मुद्दा नहीं देना चाहती और विपक्ष धर्म की आड़ लेकर किसी भी मुद्दे को उपचुनाव में घसीटना चाहता है।
इन दोनों पार्टियों के लिए जनता वोट बैंक से ज़्यादा कुछ भी नहीं है।
पर आप अपने घर संसार के लिए अति महत्वपूर्ण हैं ...
आप का परिवार आप के इर्द गिर्द घूमता है।
समझदारी से फ़ैसला लीजिए - जब ज़िंदगी होगी तो ऐसे जुलूस और धार्मिक मेले तो जीवन भर लगेंगे ही।
आप स्वयं निर्णय लीजिए कि इस कोविड महामारी के काल में हम जुलूस नहीं निकालेंगे ...
हर जान क़ीमती है ...
हम सब का ईश्वर हमारा अंतर्मन समझता है और हमारी मजबूरी जानता है।
आपत्ति काले , मर्यादा नास्ति ...
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