Friday, April 9, 2021

आपत्ति काले , मर्यादा नास्ति

 *आपत्ति काले , मर्यादा नास्ति *


अजमेर में ज़िला प्रशासन द्वारा इस कोविड burst में चेटीचंड , महावीर जयंती पर जुलूस निकालने की अनुमति साथी नागरिकों को दे दी गयी है। 


जब धर्म के साथ राजनीति मिल जाती है तो ऐसे ही दबाव वाले , नागरिक हित से परे निर्णय लेने को प्रशासन बाध्य हो जाता है। 


दो गज़ दूरी , मास्क है ज़रूरी का नियम हम सब मिलकर भी follow नहीं करवा पा रहे तो क्या जुलूस में ये नियम पालन हो पाएँगे ? 


आपत्ति काल में सही ग़लत नहीं देखा जाता ... 


प्रदेश में उप चुनाव हैं और प्रदेश की कांग्रेस सरकार विपक्ष को भुनाने के लिए कोई मुद्दा नहीं देना चाहती और विपक्ष धर्म की आड़ लेकर किसी भी मुद्दे को उपचुनाव में घसीटना चाहता है। 


इन दोनों पार्टियों के लिए जनता वोट बैंक से ज़्यादा कुछ भी नहीं है। 


पर आप अपने घर संसार के लिए अति महत्वपूर्ण हैं ...


आप का परिवार आप के इर्द गिर्द घूमता है। 


समझदारी से फ़ैसला लीजिए - जब ज़िंदगी होगी तो ऐसे जुलूस और धार्मिक मेले तो जीवन भर लगेंगे ही। 


आप स्वयं निर्णय लीजिए कि इस कोविड महामारी के काल में हम जुलूस नहीं निकालेंगे ... 


हर जान क़ीमती है ... 


हम सब का ईश्वर हमारा अंतर्मन समझता है और हमारी मजबूरी जानता है। 


आपत्ति काले , मर्यादा नास्ति ... 

🙏🙏

Wednesday, May 6, 2020

Welfare State और कोरोना संक्रमण

मैं शुरू से कहती आयी हूँ कि सरकारें welfare state होती हैं। उन का कर्तव्य है नागरिक हित में कार्य करना।
विगत राजनीति ने सरकारों को पथभ्रष्ट कर दिया है और हम सब आरोप प्रत्यारोप में उलझ कर रह गए हैं। 
कोई भी सरकार बिना राजस्व के कार्य नहीं कर सकती।
क्या इस से कोई इनकार कर सकता है
नहीं ना ...
फिर आपदा काल में राजस्व के लिए लिए जा रहे steps पर राजनीति नहीं दूरदर्शिता चाहिए , हम नागरिकों को सरकार की निहित भावना समझनी होगी।  
दिल्ली सरकार का example लेते हैं
शराब पेट्रोल डीज़ल पर कर बढ़ाया गया ...
एक आम दृष्टि से देखें तो विरोध के स्वर उठना शुरू होने चाहिए थे ... आपदाकाल में जब कमाई के साधन नहीं हैं तब ये टैक्स
अब कोरोना संक्रमण काल में welfare state के नज़रिए से देखते हैं  ...
सरकार को अपने नागरिकों की रक्षा करनी है , उन के भोजन का ध्यान रखना है , उन के स्वास्थ्य पर दृष्टि रखनी है और ये सब कार्य बिना राजस्व के सम्भव नहीं  
अब आवाज़ उठेगी कि उपरोक्त दो पर टैक्स बढ़ोतरी क्यूँ
कोरोना संक्रमण काल में हम सब का ये फ़र्ज़ बनता है कि जीवनयापन अति साधारण रूप से किया जाए। हमारे जीवन में अब कुछ समय तक विलास की वस्तु का कोई  स्थान नहीं है - सो दिल्ली सरकार ने नागरिकों तक भोजन स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के लिए राजस्व प्राप्ति हेतु शराब की दुकानें तो खोलीं पर टैक्स बढ़ा दिया ...
इस संक्रमण काल में home bound रहना आवश्यक है , हम नागरिक बाहर निकलना बंद नही कर रहे सो घूमने के साधन के काम में आने वाले पेट्रोल डीज़ल पर अतिरिक्त कर लगा दिया...
अब कुछ लोग कहेंगे कि ये तो मध्यम निम्न वर्ग पर ही चोट है , अमीर को क्या फ़र्क़ पड़ेगा ? तो साथियों वो अमीर वर्ग ही तो indirectly आप ही के लिए राजस्व दे रहा है ... और कड़वा सच भी सुनना चाहते हैं तो सुनिए - अमीर वर्ग तो social distancing के लिए संजीदा है - मध्यम निम्न वर्ग में ही ये संक्रमण फैल रहा है क्यूँकि संजीदा हम ही तो नहीं हैं ...
बस देशहित में कार्य कर रही हैं आज की सभी सरकारें
उन सब का साथ दीजिए
ज़िंदगी रही तो राजनीति भी कर लेना ...  

Saturday, May 2, 2020

कोरोना के बाद व् कोरोना के साथ जीवन की सकारात्मकता

आज भी जब shelter  homes में जाती हूँ , लोगों से मिलती हूँ तो उन में एक व्यग्रता है , भविष्य के प्रति एक नकारात्मक आशंका है और एक डर है ...
आइए इस पर ही बात करते हैं ... 
भविष्य - भविष्य तो काल के गर्भ में है ना , पहले वर्तमान अपने जीवन के बारे में तो सोचिए - जीवन ही ना रहे तो क्या व्यवसाय
जीवन में अब अनेक नियमों का पालन करना ही होगा - पहले मस्तिष्क में इस बात से समझौता कीजिए ... 
मन मस्तिष्क को सकारात्मकता की ओर मोड़िए - अपने आप को जीवन जीने की कला सीखने पर केंद्रित कीजिए ... 
रोज़ ध्यान कीजिए - हृदय में सकारात्मकता का संचार कीजिए ... जब भविष्य के तनाव को दूर करेंगे तभी वर्तमान में जीना आएगा ...
जब वर्तमान में जीना सीखेंगे तो नियम पालन उस का एक अभिन्न अंग बन जाएगा ... 
आप अपने आप स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ा चुकेंगे ...
कोरोना वाइरस के सकारात्मक पक्ष को देखने की कोशिश कीजिए
परिजनों का साथ मिला - जिसे आप जीवन की आपा धापी में खो चुके थे ...
ध्यान , योग अन्य exercise के लिए समय मिला है , सो ये कहा जा सकता है कि शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य का वरदान लाया है कोरोना वाइरस संक्रमण का डर ... 
बच्चों को उन्मुक्त घर का वातावरण मिल रहा है , गृहणियों को सुबह की मारा मारी से मुक्ति
सोचिए क्या ये सब आज के समय में मुमकिन था
दोनों हाथों में क़ैद कर लीजिए इन लम्हों को और इन की positivities को enjoy कीजिए ...
अक्सर बाहर का खाना खा कर हम सब जानते बूझते अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो गए थे , कोरोना ने हमें घर के खाने की नियामत दिलाई ... 
अब बात करते हैं पैसों की
बहुत परेशान हैं लोग
आशंका है व्यवसाय ख़त्म होने की
ना इसे भी सकारात्मक लीजिए ... 
नए सिरे से शुरू करेंगे अपने काम को ...
पुराने समय से आगे बढ़िए - अब comparison कर के मस्तिष्क में तनाव का संचार मत कीजिए ... 
हर दिन नया दिन है - ये हमारा नया मंत्र होना चाहिए ...
बाज़ार खुलेंगे , व्यवसाय भी होगा ...
भूतकाल नहीं वर्तमानकाल से व्यावसायिक गतिविधियों का आँकलन हमारा मूलमंत्र होना चाहिए ...
आज इतना कमाया , कल फिर कमाएँगे इस पर ध्यान केंद्रित कीजिए
यदि सोच रहेगी कि करोड़ों का कारोबार था करोड़ पर गया तो depression से मुक्त ना हो पाएँगे ...
सकारात्मक कदम ही हमें जिताएँगे ... 
एक एक पग बढ़ाइए और मंज़िल की ओर अग्रसर रहिए - मंज़िल ज़रूर मिलेगी 😊

Monday, August 12, 2019

सरकार ने अपना काम कर दिया , अब हमारी बारी है ...

न काहू से दोस्ती ना काहू से बैर 

कश्मीर - धरती का स्वर्ग पर भारतवासियों के लिए बहुत समय से सिरदर्द बना हुआ... 

आप प्रश्न करेंगे , उत्तेजित होंगे - थमिये - जज़्बात काबू में रखिये और कृपया आगे पढ़ते जाइये...
एक लम्बी लड़ाई के बाद हमें आज़ादी मिली , पर फूट डाल कर राज करने की अंग्रेजी नीति ने हमारे भू भाग को दो टुकड़ों में बाँट दिया , दिल नहीं बंटे थे , बस कुछ स्वार्थी राजनीतिज्ञ अपनी रोटियां सेकने में कामयाब हुए थे , आम जनता को यकीन था कि बंटवारा नहीं होगा - वो हुआ - और स्वार्थी तत्वों ने कत्ले आम मचाया और दिल के टुकड़े हो गए ...
कश्यप ऋषि की भूमि पर हिन्दु और मुसलमान दोनों बसते थे , पड़ौसी देश ने उसे हड़पने की कोशिश की , कबीलियाईयों के भेस में अपने सैनिक भेजे पर नाकामयाब रहे ...
कश्मीर के राजा ने भारत के साथ को मंज़ूर किया और कश्मीर का विलय भारत में हो गया - कुछ शर्तों के साथ ...
हाँ शर्तें हमें मंज़ूर थीं पर गद्दारी नहीं ...
खैर शुरूआती दौर के राजनीतिज्ञों की गलती के कारण भारत में विलय हुआ कश्मीर हम से थोड़ा थोड़ा छिटकता रहा , राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव में मर्ज़ बढ़ता गया ज्यूँ ज्यूँ दवा की ...
कमज़ोर नीतियों के कारण अलगाववादी व् राजनीति के स्वार्थी खिलाड़ी कश्मीर में अपना खेल खेलते रहे ...
कश्मीरी पंडित एक सोची समझी साज़िश के तहत अपने घरों को छोड़ने को मज़बूर हुए , सरकार न चेती ...
घाव नासूर की शक्ल इख्तियार करने लगा ...
इन सब बातों के बीच हम आम भारतीय उन मासूम कश्मीरी भाई बहनों के दर्द की और से नावाकिफ रहे जो अलगाववादियों और राजनीतिज्ञों के हाथों स्वर्ग की जगह नरक में बसने को मज़बूर रहे - उन के स्वर्ग को स्वार्थी तत्वों ने अपनी हवस के कारण नरक में तब्दील कर डाला ...
भारतीय सरकारें कश्मीरी जाल से निकलने में अक्षम रहीं ...
भोगते रहे मासूम कश्मीरी ...
कभी सोचा है अपने बच्चों को अनपढ़ और नासमझ होने के कारण अलगाववादियों के हाथों का मोहरा बनते देख कर उन माँ बाप के दिल पर क्या बीतती होगी ?
उन की दहशत का अंदाजा लगा सकते हैं जिन के बच्चे आज़ाद कश्मीर के नाम पर हिंसा की और धकेल दिए जाते होंगे ?
अंदाज़ा लगाइये उन माँ बाप के जज़्बातों का वो जब देखते होंगे कि उकसाने वाले अलगाववादी व् राजनेताओं के बच्चे कश्मीर से दूर सुरक्षित माहौल में पढाई कर रहे हैं और उन के बच्चे आज़ादी के नाम पर बलि चढ़ाये जा रहे हैं ...
सोचिये जब वो मजबूर माँ बाप भारतीय सरकार से आये टैक्स के पैसों से अलगाववादी नेताओं और स्वार्थी राजनीतिज्ञों को ऐश करते देखते होंगे , सिक्योरिटी में रहते देखते होंगे और उन के बच्चे और वो दहशत में जीते होंगे तब उन के दिल पर क्या बीतती होगी ?
ये सब उन्हीं अधिनियमों के कारण हुआ जिन के कारण आम कश्मीर वासी तो अलग थलग पड़ गया और नेता ऐश कर गए ...
आम कश्मीरी सम्पूर्ण भारत से कटा एक देशनिकाला मिले हुए नागरिक की तरह वो ही सुनता और समझता रहा जो उसे जानबूझ कर समझाया जाता रहा , वो अपने देश भारत का नागरिक तो बना ही नहीं ...
अब सही समय है उस को सकारात्मक परिवर्तन दिखाने का - उसे एक भारतीय नागरिक के अधिकारों से रूबरू करवाने का , उसे बताने का कि किस आज़ादी से वो आज तक वंचित रहा...
अब हम भारतीयों का ये कर्तव्य है कि हम कश्मीर में उन के साथ बसें और उन की आशंकाओं को निर्मूल साबित करें - हम उन को ये बताएं कि स्वार्थी तत्वों ने उन को आज तक किन किन खुशियों से महरूम रखा ...
हमें उन में हर धर्म का आदर व् सम्मान करने की अपनी भारतीय आदत से पहचान करवानी होगी , उन्हें हर त्यौहार पर खुशियां मनाना सिखाना होगा और सब से बड़ी बात उन्हें अपनी अच्छाइयों से परिचित करवाना होगा और ये सब बहुत संयम मांगेगा और वो हम में कूट कूट कर भरा है ...
कश्मीर हिन्दुस्तान का अभिन्न अंग है - हमें ये उन्हें समझाना होगा और वो हम उन का भरोसा जीत कर ही कर सकते हैं ...
- सरकार ने अपना काम कर दिया , अब हमारी बारी है ...