Sunday, October 7, 2012

अब याचना नहीं .....

अब तो दिल की ही मानिए....
इस दिल की आवाज़ पर उठना जानिये...
जीना तो हर हाल में है ही, पर दिल की आवाज़ को सुनना जानिये...
जीता तो दुनिया में है हर कोई...
पर
 अपनी शर्तो पे जीना जानिये....
सोते हुए बहुत  काटी है ज़िन्दगी...
अब इस देश की खातिर सड़कों पे जीना ठानिये....
अब याचना नहीं .....
अपने हक को लड़ के लेना जानिये....
इस सुप्त देश प्रेम को झकझोर के जगाइए और ठान लीजिये कि हम अपने हक को अब ले कर ही रहेंगे...
ये समय है ज़ोरदार विरोध का.....
हर नाजायज़ दबाव को ठुकराने का...
अपनी जायज़ मांगों के लिए अड़ जाने का....
रोशन सवेरा तो अपनी ही हिम्मत से होगा...
दूसरों का मुंह ताकना बंद कीजिये...
अपनी सुप्त ताकत को पहचानिए....
किस भी भेद-भाव,दबाव ओर गलत काम को सहने की नहीं रखी...

अब समय है सविनय अवज्ञा आन्दोलन का.....

किसी भी देश हित,समाज हित  और शोषित जन के मुद्दों को ले कर सड़कों पर आईये और अपनी ताकत से उस नाजायज़ बात को समाप्त कीजिये....
पहले गोरों से लड़े थे अब अपनों से लड़ने का समय है...
तब तक जब तक वे हमें...
यानी कि
 आम जन को वोट-बैंक या प्रजा मानना बंद न कर दें....
आइये लोकतांत्रिक देश को सच्चा लोकतंत्र देने की दिशा में कदम बढायें.....
जहाँ जनता के द्वारा,जनता के लिए और जनता का शासन हो...

स्वराज और सुराज....

हमें सुराज तो चाहिए ही ,परन्तु ऐसा सुराज जो स्वराज में समाहित हो....

स्वराज...जनता का राज....जहाँ हर महत्वपूर्ण फैसला जनता से पूछ कर लिया जाए....

सरकारी कोष का उपयोग जनता की मर्ज़ी से किया जाए...

जनता मांगे कि इस जगह सड़क की ज़रुरत है,इस जगह विद्यालय की....
हमारी ज़रूरतों और इच्छा के मुताबिक ही हमारे टैक्स का पैसा खर्च हो.....

किसी भी जनप्रतिनिधि का चयन उस कि छवि और कार्यकुशलता के बल पर हो नाकि उस कि जाति उस का प्रमाणपत्र बने....

हमें अपनी जाति पर गर्व होना चाहिए परन्तु ये हमारे  निजी जीवन तक ही हो....

घर के बाहर हम एक भारतीय कहलाना पसंद करें...

इस देश प्रेम के ज्वार को उठाइये....

हम बार बार कहते हैं कि अपने हक के लिए उठ खड़े होइए क्यों कि ये लड़ाई आप के और हमारे जुड़े बिना पूरी न हो पाएगी...

ये हमारी लड़ाई है.....

आज किसी भी प्रत्याशी को हम चुनें कि ये हमारा जनप्रतिनिधि बन सकता है....
कोई भी व्यक्ति स्थानीय जनता पर थोपा ना जाए...
हमें इस दिशा में  मज़बूत इरादे रखते हुए आगे बढ़ना होगा
 और
 राजनैतिक पार्टियों को अपनी सुलझी सोच का परिचय देना होगा
ताकि
 मूर्ख,भुलक्कड़  जनता का तमगा जो हमें मिला है उसे सजग जनता में तब्दील किया जा सके.....
आज समय है चेत जाने का....

अभी नहीं तो कभी नहीं की स्थिति है....

अपनी आने वाली पीढ़ी को जवाब देने की स्थिति में आप अपने आप को पाते हैं क्या ...

इस का आकलन आप स्वयं करें....

आखिर रोज़ सुबह आईने से दो चार तो आप को  ही होना हैं न....

No comments:

Post a Comment