Wednesday, February 29, 2012

क्या भारत सुरक्षित हाथों में है?

क्या भारत सुरक्षित हाथों  में है?
क्या वाकई विदेशियों का हमारी संसद पर नियंत्रण है?


१) ९० के दशक में आयकर विभाग द्वारा कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों का सर्वे करने पर उन्हें रंगे हाथों टैक्स चोरी करते पकड़ा गया|उन्होंने अपना जुर्म क़ुबूल किया और बिना अपील किये सारा टैक्स जमा करा दिया|कोई और देश होता तो इन कंपनियों के वरिष्ठ अफसर जेल मे होते,परन्तु,  भारत है..........

२)ऐसे ही एक सर्वे के दौरान एक विदेशी कंपनी के मुखिया ने धमकी दी - भारत एक गरीब देश है और हम आप कि मद्दद करने आये हैं,यदि आप ऐसे तंग करोगे तो हम देश छोड़ कर चले जायेंगे|आप नहीं जानते कि हम कितने ताक़तवर हैं|हम चाहें तो आपकी संसद से कोई भी क़ानून पारित करवा सकते हैं|आप लोगों का तबादला भी करा सकते हैं| और इस के बाद एक वरिष्ठ अफसर का तबादला हो भी गया |   भारत है.........
३)जुलाई २००८ में यू पी ए सरकार को संसद में अपना बहुमत सिद्ध करना था|खुले आम सांसदों की खरीद फरोख्त चल रही थी|कुछ टीवी चैनलों ने  सांसदों को बिकते दिखाया |देश कि आत्मा हिल गयी| हमारे वोट की कीमत का एहसास हुआ |आज सांसदों को एक पार्टी खरीद रही है तो कल कोई और देश भी खरीद सकता है|हो सकता है कि ऐसा हो भी रहा हो???   भारत है.......
४)संसद में प्रस्तुत न्यूक्लीयर सिविल लायबिलिटी बिल कहता है कि कोई विदेशी कंपनी यदि भारत में परमाणु संयंत्र लगाती है और उस में कोई दुर्घटना हो जाती है तो कंपनी की ज़िम्मेदारी केवल १५०० करोड़ रुपए तक ही होगी|
भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ित व्यक्तियों को अभी तक २२०० करोड़ रुपये मिले हैं और वे काफी कम हैं ऐसे में १५०० करोड़ रुपये तो कुछ भी नहीं होते|
इसी बिल में आगे है की उस कंपनी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला भी दर्ज नहीं होगा और कोई मुकदमा भी नहीं चलाया जाएगा|कोई पुलिस केस भी नहीं होगा बस १५०० करोड़ रूपये ले कर उस कंपनी को छोड़ दिया जाएगा|
साफ़ साफ़ ज़ाहिर है कि ये कानून देशवासियों की जिंदगियों को दांव पे लगा कर विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया जा रहा है|
हमारी संसद ऐसा क्यूँ कर रही है?यकीनन या तो हमारे सांसदों पर किसी प्रकार का दबाव है या कुछ सांसद या पार्टियां विदेशी कंपनियों के हाथों बिक गयी हैं.    भारत है...........

इन सब बातों को देख कर मन में प्रश्न खड़े होते हैं -"क्या भारत सुरक्षित हाथों में है?क्या हम अपनी ज़िन्दगी और अपना भविष्य इन कुछ नेताओं के हाथों में सुरक्षित देखते हैं?


सोचनीय प्रश्न हैं ...सोचिये और उत्तर दीजिये.......

आप के उत्तर की प्रतीक्षा है..........

1 comment:

  1. to kay, hum apne haat age badha kar apne Bharat ko surakshit nahi kar sakate? kyou fir unhi haton ko dekhna jo raktranjit hai bharat maa ke khoon se? wo to ghnahgar hai, fir bhi hamare desh ki unpe madra hai? isse bada duke konsa hoga ye mera vichar hai

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