Thursday, March 1, 2012

आज के सेवक

पैसे के लिए नेता और अफसर कुछ भी कर सकते हैं|
 कितने ही मंत्री और अफसर औद्योगिक घरानों की कठपुतली बन कर रह गए हैं|

१) हाल  ही के फोन टैपिंग मामले से पता चला है कि सरकार में कौन मंत्री बने - इस का निर्णय प्रधान-मंत्री ने नहीं बल्कि औद्योगिक घरानों ने लिया था|

आज कौन से नेता या अफसर का झुकाव किस घराने की और है यह एक खुली बात है|
अब तो जनता भी यह बात समझ चुकी है कि कुछ राज्यों की सरकार और कुछ केंद्रीय मंत्रालय ये औद्योगिक घराने ही चला रहे हैं|


मेरा भारत महान!!!


२) रिलायंस के मुकेश अंबानी महाराष्ट्र में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी शुरू करना चाहते हैं,राज्य के शिक्षा मंत्री से मिलते हैं और वे विधान सभा में प्राइवेट यूनिवर्सिटी बिल लाना मंज़ूर कर देते हैं|
औद्योगिक घरानों की इच्छा पूर्ति हेतु हमारी विधान सभाएं तुरंत कानून पारित करने को राज़ी हो जाती हैं|


मेरा भारत महान!!!!


३) देश की खदानों ,वनों,और नदियों को औने -पौने दामों में बेचा जा रहा है|
लोगों की ज़मीनें छीन कर  (नोएडा )कंपनियों को औने-पौने दामों में बेचीं जा रहीं हैं|
लौह अयस्क की खदानें लेने वाली कम्पनियाँ सरकार को मात्र २७ रूपये प्रति टन रोयल्टी देती हैं,खदान से लोहा निकल कर उस की सफाई इत्यादि में ३०० रूपये का खर्च आता है|
उसी आयरन को ये कम्पनियां बाज़ार में ६००० रूपये प्रति टन के हिसाब से बेचती हैं|


मेरा भारत महान!!!

क्या यह सीधे -सीधे देश की संपत्ति की लूट नहीं है?


इन पार्टियों,नेताओं और अफसरों के हाथों  में हमारे देश की प्राकृतिक संसाधन  और सम्पदा खतरे में है|


सभी पार्टियों का चरित्र एक है......


हमें ही कुछ करना पड़ेगा.........


हम क्या कर सकते हैं या हमें क्या करना चाहिए ???


आप के सुझाव आमंत्रित हैं.........


आप के सुझावों की प्रतीक्षा है हमें...........................

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