Sunday, February 5, 2012

स्वार्थ का खेल

हर जगह लेने वालों की धूम है.जिस को मौका पड़ता है कुछ लेने ही किसी भी आन्दोलन में या राजनीति में कूद पड़ता है. अब कोई ये इन्हें कैसे समझाए की आज का समय लेने का नहीं देने का है.आज हम को सिर्फ भारत माँ का क़र्ज़ चुकाना है. हमें कुछ लेने नहीं देने के लिए आगे आना है. अब स्वार्थ छोड़ कर निस्स्वार्थी होना है.आज देश को हमारी ज़रुरत है भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने हेतु और आप हैं कि इस आन्दोलन से भी अपने ही फायदे की सोच रहे है...... लानत है ऐसे लोगों पर और उन की सोच पर. हर जगह शक्ति प्रदर्शन की ज़रुरत नहीं,किसी किसी जगह बिना किसी स्वार्थ के देश हित कार्य कर के देखिये उस में जो आनंद मिलेगा वो आप को कोई स्वार्थपूर्ति नहीं दे सकती. आईये स्वार्थ त्याग निस्स्वार्थ देशप्रेम का परिचय दें और सब जनता के लिए एक आदर्श स्थपित करें जिस से उन्हें आप के पीछे चलने में गौरव की अनुभूति हो. अब बस एक ही नारा - जयहिंद और जय-देशप्रेम .

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