Sunday, February 5, 2012

विरोध की मशाल

आज जनता क्या सोचती है कि वह भ्रष्टाचार के विरोध में खड़ी हो गयी है तो क्या ये भ्रष्ट लोग आसानी से हाथ में आ जायेंगे????????
 अरे भाई ये लोग इतनी आसानी से हार मानाने वाले नहीं है....
 ये इतनी आसानी से घुटने टेक देंगे क्या? ये आप को डरायेंगे,धमकाएंगे,आप के loop holes खोज कर साथ की जनता को बिद्कायेंगे,ये आप के खिलाफ लोगों द्वारा झूठे मुक़दमे दायर करवाएंगे,आप के घर के लोगों को तंग करेंगे,ये आप को भी प्रलोभन देने की कोशिश करेंगे,ये जांच agencies को खरीद लेंगे और आप पर दबाव बनाने की पूरी कोशिश करेंगे आखिर इन की ज़िन्दगी तो भ्रष्टाचार पर ही टिकी है न.


 अब हमारी भूमिका की भी व्याख्या करी जाए -
 १) हम में से कुछ लोग यानी कि जनता तो पहले से ही ये बोल रही है कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता -बिना लादे हार मानने वाले लोग- यानि कि ये घुटने टेकने वाली पहली जमात है जो की बिने लड़े ही हार मान चुकी है और अपने स्वार्थों की पूर्ति में मग्न रह कर जीवन गुज़ार रही है-ज़ाहिर तौर पर सारा दोष हमारी इसी जमात का है.........
 २) हम में से कुछ लोग शुरुआत में इस लड़ाई में जोर शोर से हिस्सा लेंगे परन्तु इस लड़ाई को लम्बी खिंचती देख अपने पैर पीछे खींच लेंगे,इन का लम्बी लड़ाई का कोई मूड नहीं है-अगर फ़टाफ़ट परिणाम मिले तो ही इन का interest इस लड़ाई रह सकता है - हथेली पर सरसों उगे तो ही लड़ना है अन्यथा नहीं.
 ३) कुछ कहेंगे कि भाई क्या देश की वजह से अपने परिवार पर आंच आनें दें ? - विपरीत परिस्थितियों से डरने वाले दोस्त.......भाई हमारे पति/पत्नी का स्थानांतरण कर दिया तो मुश्किल बढ़ सकती है - न बाबा न.
 ४) और कुछ हमारे प्यारे दोस्त जो थोड़े से प्रलोभन से बिक सकते हैं - भाई वैसे ही कुछ पाने ही तो आये थे न इस आन्दोलन में......सो पा लिया न.....क्या फर्क पड़ता है...इधर या उधर ......अब सीढ़ी उस राह की चढ़ लेंगे......


 राहें ऐसे नहीं रोशन हुआ करतीं- दिया बन के रोशनी देनी पड़ती है,दिए की बत्ती की मानिद जलना पड़ता है,सर्वस्व होम करना पड़ता है तभी मनचाही आज़ादी पाने का स्वप्न पूरा हो पायेगा - देश को भ्रष्टाचारी आततायियों से निपटने में अभी समय लगेगा- आईये सब धैर्य और निस्स्वार्थ भाव से इस लड़ाई में जुटे रहें-
राह कठिन है पर दूर इक रोशनी की किरण अभी से ही नज़र आने लगी है -आयें उस की ओर रूख करें धीरे धीरे राह के काँटों को चुनते जाएँ और आने वाली पीढ़ियों के लिए राह आसान करते जाएँ- आखिर हमें उन को भी तो मूंह दिखाना है.........

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