Wednesday, February 8, 2012

आधुनिक भारत का आधुनिक राजतंत्र

हम तो इसी खुशफ़हमी को पाले बैठे थे कि भारत एक प्रजातान्त्रिक देश है,एक लोकतंत्र है जहाँ की शासन  व्यवस्था जनता के लिए-जनता के द्वारा की जाती है.हम अपने जनप्रतिनिधियों का चुनाव के द्वारा चयन करते हैं और वे जनता को स्वच्छ और निष्पक्ष शासन उपलब्ध कराते हैं.
धीरे धीरे हम कूप मंडूकों ने बाहर  का रूख किया व् आँखों पर से पर्दा हटा,सच्चाई परत दर परत हट कर सामने आने लगी-अरे यह क्या??- विश्व को नए नए आविष्कारों से लाभान्वित करने वाले भारतियों ने एक नया तंत्र खोज निकाला.... प्रजाराजतंत्र -

अब चलिए इस की भी व्याख्या कर ली जाए - 

एक ऐसा तंत्र जिस की जड़ें सामंतवाद को न छोड़ पायीं हों - 

एक ऐसा वृक्ष जिस की जड़ हो वंशवाद,तना हो पार्टीवाद व् शाखाएं हो गुलामवाद की. 
जिस पर लगे मधुर फलों का रसास्वादन करें महान जड़ परिवार (जड़ ही फल डकार जाए ऐसा विश्व में कोई वृक्ष देखा है?),जूठन गुलाम परिवार व् यदि कोई रस धरती पर टपके या फल का कोई अंश धरती पर गिर जाए तो उसे लपका जाए घातवाद के व्यक्तियों द्वारा.

मूर्ख जनता इसी खुशफ़हमी में हर पांच साल  में उस प्रजाराजतान्त्रिक देश को सींचती रहे कि यह उस के द्वारा,उस के लिए खड़ा किया गया है और कभी न कभी तो उस का फल उस के भी नसीब में भी आएगा........

हम भारतीयों की एक खूबी है - धैर्य -हम में कूट कूट कर भरा हुआ है यह - हम किसी भी विपत्ति में इस का साथ नहीं छोड़ते (फिर चाहे सोमनाथ ही क्यूँ न लुट रहा हो-प्रभु आयेंगे न और सब ठीक कर देंगे).भगवान् सब का भला करे - आज नहीं तो कल हमारा भी भला होगा - अभी भगवान् हमारी परीक्षा ले रहा है......ये सब वाक्य हम ने ढूंढ़ रखे है अपने को दिलासा देने को व् अपनी अकर्मण्यता पर पर्दा डालने को.

अरे भलेमानसों अब तो जागो - आप के द्वारा सिंचित वटवृक्ष पर परिवारवाद हावी क्यूँ? जो भी इस परिवार से जुड़ता है मानने लगता है की वह सत्ता योग्य है,उस में यह भावना पनपती जाती है की वे भी शासन करने योग्य हैं चाहे योग्यता पर प्रश्नचिन्ह  हो.......... मानों परिवार पारस पत्थर है और लोहे को सोना कर देगा.

 पर ऐसा कुविचार हम सामंतशाही के पुजारी,अपने पाँव धो धो कर पीने की प्रवृति के चलते ही तो उन में भरते हैं न......

आज समय की मांग है कि हम सब उठें और अपने देश के लिए योग्य कार्यकर्ताओं का चयन करें.आज समय है समर्थ,non corrupt,निस्स्वार्थ सेवा भावी  व्यक्ति को चुनने का-

हे भारतवासियों अब निद्रा व् अकर्मण्यता त्यागो और योग्य सिद्ध होने पर ही किसी व्यक्ति को अपने अमूल्य वोट की सौगात दो अन्यथा नहीं.

2 comments: