Tuesday, February 28, 2012

ज़रा सोचिये

ज़रा सोचिये -
हम अपने देश की राजनैतिक व्यवस्था के अंतर्गत पांच साल में एक बार वोट दे कर अपने कर्तव्य की इतिश्री  कर लेते हैं और फिर हमारे उन चुने गए राजाओं (नेताओं)के सामने गिडगिडाते रहते हैं.
जनता का पूरी व्यवस्था पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं है ....क्यूँ.......?????????
क्यूँ कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही प्रकार से नहीं करते -
१) वोट देने नहीं जाते.
२)अगर जाते भी हैं तो धर्म,जाति,जान-पहचान,पैसा और पव्वे  आदि के आधार पर वोट देते हैं|
 सही आधार पर वोट देगे तो ही सही व्यक्तियों का चयन संभव होगा जो की जनता के सही जनप्रतिनिधि होंगे|
सही आधार क्या है?
सही आधार है कि हम एक अच्छे कार्यकर्ता को चुने -
१)ऐसा व्यक्ति जो हमारे क्षेत्र में जन हित कार्य में लगा रहा हो |
 २)सेवाभावी हो.हमें जाति के आधार पर न बांटे यानी कि हमें वोट बैंक न समझे |
३)हमारे वोट को खरीदने कि कोशिश न करे|
४)जो अपना जीतने के बाद कार्य करने का तरीका स्पष्ट करे - यानी कि क्या वह पार्टी लाइन  को सर्वोपरि रखेगा या जनता को जिस ने उसे चुन कर भेजा है|
५)जो जनता के प्रति अपनी जवाबदेही रखेगा.
६)जो, हर ऐसा मुद्दा जो कि जनता से जुड़ा होता है उस में जन सभा के माध्यम से जनता कि राय लेगा और सदन में उस ही राय पर अपना मत देगा.
७) जो अपने कोष का उपयोग जन सभा के माध्यम से,जनता की मर्ज़ी  से उपयोग करेगा और जनता को जांचने परखने का मौका देगा कि कहीं कोई भ्रष्टाचार तो नहीं हो रहा है|

आईये हम सब व्यवस्था परिवर्तन की ओर अग्रसर हों  और देश को चलने में मदद करें|आज समय की मांग है कि जनता खुल कर अपने कर्तव्यों का पालन करे ओर गर्त में डूबते अपने देश को बचाएं|

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