संक्रमण काल !!!!!!
नहीं हम ऐसे कह कर इस आन्दोलन की टूटन से अपने आप को दोषमुक्त नहीं कर सकते......
भारतीय स्वभाव की कमजोरी हम को ले डूबी......
हम अपने-अपने अहम् में इस कदर डूबे हुए हैं कि अपना देश दोयम दर्जे का स्थान पाता रहा है आदि अनादि काल से.....
जिस व्यक्ति को सूझ-बूझ दिखाते हुए,सब की नैया पार लगानी थी वो ही अपना कर्त्तव्य पूरा न कर पाया......
आन्दोलन को अभी भी सही मार्ग पर रखा जा सकता था.....
ज़रुरत थी कुछ समझ-बूझ और कुछ समझाइश की.....
एक मातृ -संगठन होता और एक दूसरा उस की एक शाखा......
उन को जोड़े रखता .....
एक वट-वृक्ष ......
अपने सबल कन्धों पर बोझ ढ़ोता सब को सही राह दिखाता ......
एक आन्दोलन करता और दूसरा संसद में आन्दोलन-रत रहता.....
दोनों एक दूजे के पूरक......
विकल्प देना ज़रूरी......
लोगों में जागरूकता लाना ज़रूरी.....
एक विकल्प की तैयारी करता ...
दूसरा गाँव गाँव जा कर आम जन को जगाता.....
परस्पर तालमेल से सुखद स्थिति पैदा होती
और
देश सेवा का प्रण ले कर आगे आये पूर्ण-कालिक कार्यकर्त्ता देश को अपने देश प्रेम से सराबोर कर जगा देते.....
कर्त्तव्य पथ पर बढ़ते ही रहना था.....
विकल्प ज़रूरी .....
नहीं तो दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों को जिता के सदन तक पहुचाने के बाद भी वे पार्टी लाइन फोलो करते तो हमारा उद्देश्य पूरा न हो पाता.....
निर्दलीय को जिताते हैं तो उस के जीतने के बाद दूसरे दल में जा मिलने की तलवार लगातार लटकती रहती है....
अपनी पार्टी बनाने से हम उन पर दबाव बना पाने की स्थिति में होते हैं...
यदि कोई सांसद या विधायक जन भावनाओं के अनुकूल काम नहीं करता तो हम उस पर पार्टी का दबाव बना सकते हैं.....
अब
एक और बात भी सही है कि आज सम्पूर्ण देश में विकल्प देने की स्थिति में हम अभी नहीं हैं......
दिल्ली को रोल मॉडल बना कर बस वहां चुनाव लड़े जा सकते हैं और सम्पूर्ण भारत के कार्यकर्ता इस में दिल्ली पहुँच कर सहयोग कर सकते हैं....
दूसरी ओर सम्पूर्ण देश में तब तक अलख जगानी चाहिए
और
डेढ़ साल में काम किया जा सकता है...
आत्म विश्लेषण कर के फिर प्रत्याशी उतारने की सोची जा सकती है....
यदि जागरूकता फैलाने वाले आन्दोलनकारी साथ काम करते जाते हैं तो धरातल के काम को बाखूबी अंजाम दिया जा सकता है ....
अभी भी देर नहीं हुई है......
जागो देश वासियों जागो....
एकता ही हमारी शक्ति है....
अहम् का त्याग और देश प्रेम का ज्वार हमें विकास और भ्रष्टाचार मुक्त भारत को बनाने में सहयोग करेगा.....
ज़रुरत है हमें जानने की और मानने की
कि
एकता में शक्ति है......
जब जागो तभी सवेरा.....
आज देश का हर जागरूक नागरिक ठगा सा महसूस कर रहा है.....
नेतृत्व सब की आँखों में कमतर आँका जा रहा है....
आज नेतृत्व के सामने यह चुनौती है कि उस के कर्यकर्ता रेत समान उस के हाथों से फिसल न जाए.....
हमें नेता नहीं धरातल का कार्यकर्ता बन कर काम करना है....
आन्दोलन की अलख जगाये रखना है....
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