Friday, September 14, 2012

लोकतंत्र में हम......

लोकतंत्र ????
विविध परिभाषाएं......
संविधान में,समाज में,राजनैतिक पार्टियों में और प्रचालन में........
व्याख्याएं अनेक पर प्रचलित सिर्फ एक......अपना उल्लू सीधा करना......
आज भारतीय समाज बदलाव के मुकाम पर  बैठा है.....या यूँ कहें कि एक बदलाव के ज्वाला मुखी पर बैठा है और बदलाव के विस्फोट सहित एक नए उपजाऊ लावा की प्रतीक्षा में है......
प्रतीक्षा ???
प्रतीक्षा से कुछ नहीं होना....
अगर अब कुछ होना है तो स्वयं अपने प्रयास मात्र ही काम आने हैं.....
हमें ही छोटी छोटी बातों का ध्यान रखते हुए आज के सामाजिक और राजनैतिक समीकरण बदलने होंगे.....
अपनी आँखें खुली रखनी होंगी और हमारा हर एक कृत्य जो बदलाव ला सकता है उसे अपनी ज़िन्दगी में लाना होगा.....
हमारे छोटे छोटे क़दमों से ही हमारी दुनिया बदलेगी.....ज़मीनी हकीक़त में बदलाव आएगा....
हमें  मजबूरियों का रोना बंद करना होगा.....
अपने प्रभाव क्षेत्र में रहते हुए,जो भी प्रयत्न कर सकें, उन्हें हमें करना है......
बदलाव हम से ही शुरू होगा......

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