Monday, March 26, 2012

मंथन



आम जन हैं,अभी ही भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को देख हृदय द्रवित हुआ तो  कुछ -कुछ राजनीति को समझने की कोशिश शुरू की है -

एक बात समझ में नहीं आ रही  की ये बजट का क्या खेला है???????

हम हर रोज़ हर चीज़ खरीदने पर टैक्स देते हैं,इतना तो अब समझ में आने लगा है.........
हमारे टैक्स के पैसे से जनप्रतिनिधियों व् सरकारी अफसरों को तन्खवाह  मिलती  है .....ये भी समझ रहे हैं हम ...........
हमारे टैक्स के पैसे से हमारे देश की योजनायें बनती व् साकार होती हैं,इतना भी समझ रहे हैं हम........

परन्तु ये योजनायें साकार होने में इतनी देर जो लगाती हैं -ये किस का दोष होता है -ये कुछ समझ में नहीं आ रहा??
ये लालफीताशाही का क्या चक्कर है??
ये समझ से परे है........
 क्यूँ हर सरकारी कार्य किसी निर्धारित समय में पूरा नहीं हो पाता ???
 क्यूँ योजनायें साकार होने में समय लेती हैं ??
निर्धारित समय सीमा के परे जा कर कुछ करने की बात नहीं कर रहे ......सरकार समय सीमा तय करती है....सही??
अब प्रश्न है कि क्या ये  योजनायें बनाने वाले धरातल की वास्तविकता सेअनभिज्ञ होते  हैं??
 क्या ये जनप्रतिनिधि व् अफसर अक्षम हैं जिन्हें योजनाओं के क्रियान्वन की समझ नहीं है??
 या फिर ये सब जान बूझ कर होता है कि हर बजट में घुमा फिरा के ये ही घोषणाएं होती रहें,इन्हें नया नाम देते रहें,जनता को फील गुड कराते रहें,घोषणाओं के मायाजाल में फांसते रहें,पैसा जेब में जाता रहे व् फिर  चुनाव का समय आ जाए और इन्ही योजनाओं को कोई और चोला पहना कर,कुछ मनभावन बना कर,जनता पर डोरे डालें जाएँ,
मूर्ख सुप्त जनता फिर से छलावे में आ जाए और........
 ये सिलसिला यूँ ही चलता रहे .........मैं नहीं तो तू सही......तू नहीं तो मैं सही.....लूट मचती और चलती रहनी चाहिए......

हाँ तो मैं कह रही थी कि साधारण सी जनता हैं हम ....कुछ नादान हैं.......मायाजाल में फंस जाते हैं ......बस एक प्रश्न बार बार मन को उद्वेलित करता है कि ये जो लुभावनी घोषणाएं होती हैं ये चुनाव जीतते  ही क्यूँ नहीं हो जाती ताकि पांच वर्षों में इन्हें अमली जामा पहना दिया जा सके????
ये आने वाले चुनावों को मद्देनज़र रख कर क्यूँ की जाती हैं??
क्या जनता का वास्तविक भला करने का मानस न हो कर चुनाव जीतना ही वास्तविक मुद्दा है???

अब जनता को मंथन कर, इन सब के बारे में सोच कर ही, सही जनप्रतिनिधि का चुनाव करना चाहिए.........................
हम तो अब कुछ -कुछ समझने से लगे हैं......
आप बताएं?????????????????????????
अपनी राय.......................................................

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