Friday, March 2, 2012

आज का भारत

आज के भारत में सभी समस्याओं की जड़  में है पार्टियां व् नेता जोकि भ्रष्ट एवम आपराधिक तत्वों के साथ में हैं |जनता का कोई नियंत्रण नहीं है |हम देश की राजनैतिक व्यवस्था के अंतर्गत पांच साल में एक बार वोट डालते हैं और फिर अगले पांच साल उन्हीं नेताओं के सामने गिडगिडाते रहते हैं |
हमारा सरकारी कर्मचारियों पर भी कोई नियंत्रण नहीं है -
१) सरकारी अध्यापक ठीक से नहीं पढ़ाते,समय पर नहीं आते या आते ही नहीं - हम उस का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते |
२)सरकारी अस्पताल में डाक्टर ठीक से इलाज नहीं करता,दवाइयाँ नहीं देता,समय पर नहीं आता या आता ही नहीं | कुछ कर सकते हैं क्या आप ?आप उसका कुछ नहीं कर सकते |यदि आप शिकायत करते हैं तो उस पर कार्यवाही नहीं होती |
३) राशन वाला राशन की खुलेआम चोरी करता है |आप उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकते |आप की शिकायत पर कार्यवाही नहीं होती |
४) थाने में रिपोर्ट लिखाने जाते हैं तो थानेदार रिपोर्ट नहीं लिखता या आप के खिलाफ झूठा मुकदमा दायर कर देता है, आप उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकते |
कहने का सार है कि सरकारी कर्मचारियों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है |इन की गलतियों को हमें खून का घूँट  भर कर सहते रहना पड़ता है |

हम टैक्स देते हैं | अपने  देश का गरीब से गरीब आदमी भी टैक्स देता है,एक भिखारी भी टैक्स देता है |

हम बाज़ार से कोई भी चीज़ मसलन साबुन,माचिस,आता,सब्जी या कोई भी अन्य वस्तु खरीदते हैं तो न जाने कितने प्रकार के टैक्स देते हैं...ये सब टैक्स का पैसा हमारा पैसा है |

ऐसा कहा जाता है कि अपने  देश में  ७०% आबादी २० रुपये  प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से भी कम में गुज़ारा करती है | तो उदहारण के तौर पे यदि एक परिवार में ५ लोग होते हैं तो परिवार का मासिक खर्च हुआ ३००० रुपये |यदि सभी किस्म के कर जोड़ लें तो कुछ भी खरीदने पर औसतन १० % कर तो लगता ही है,तो उस हिसाब से एक गरीब परिवार भी ३०० रुपये मासिक और सालाना ३६०० रुपये कर के रूप में सरकार को देता है |

यदि एक गाँव में १००० परिवार हैं तो वे सभी मिल कर औसतन ३६ लाख रुपये सालाना कर के रूप में सरकार को देते हैं |

ये जितना कर सरकार हम से इकठठा करती है,हम इस पैसे के मालिक हैं |और ये जो सरकारी कर्मचारी व् नेता हैं वे सब हमारे सेवक क्यूंकि वे हमारे कर के रूप में दिए गए रुपये  से ही अपनी तनख्वाह पाते हैं |हमारे दिए गए पैसों से ही इन की लाल बत्ती की कारें,बंगले,एयर कन्डिशनर,इनका पेट्रोल,इनके नौकर चाकर  आदि चलते हैं|


हमारे पैसों से तनख्वाह पाकर अपना घर चलने वाले हम ही को आँखें दिखाते हैं ???हमारे सेवकों पर हमारी ही नहीं चलती ???


जागिये और अपने सेवकों से काम कराना सीखिए .......

अपने हक के लिए डट कर खड़े रहिये ...........
अपना हक माँगना सीखिए और उसे इज्ज़त के साथ लेना भी सीखिए........
ये सब दृढ़ता आप के अन्दर ही है बस ज़रुरत है उसे पहचाने भर की..........
आईये अपना हक पाने की लड़ाई में जुट जाएँ और अपने कर्तव्यों का सही से निर्वहन करते हुए इस दिशा में कदम बढ़ाएं ..........
जीत अपनी ही होगी...........

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