Wednesday, August 22, 2012

नव-क्रान्ति के बीज

निस्स्वार्थ  चिंतन ले एक व्यापक चिंतन की ओर अग्रसर  हैं जीवन ......
एक चेतना पुंज,एक नव जीवन संचार का बीड़ा उठाये  हैं .....

अगर ये ज्योति पुंज ही नव ज्योति न प्रदान कर सब जला के राख करने की दिशा की ओर अग्रसर होने लगे तो अपने क़दमों को थामना है ,
इसे यथासंभव सही पथ पर रखना है .....
इस की लौ को अलौकिक  प्रकाश पुंज में बदलना है,
राह में आने वाले हर कांटे को बुहारना है.....

यह एक संधि-काल है जहाँ से नव-क्रान्ति के बीज का प्रस्फुटन होना है.....

जिसे एक विशाल वट-वृक्ष का रूप धारण करना है....
खर-पतवार को स्वस्थ वातावरण में बहुतायत में पनपना भाता है.....
इस का हमें ध्यान रखना है कि निराई-गुड़ाई करते रहना है....
इसे  मेहनत और प्रेम से सींचना है,ऐसे प्रेम से जिस में रंच मात्र भी स्वार्थ की बू न आती हो......
 हमें एक स्वस्थ पौधा चाहिए.......
जो कालांतर में एक ऐसा मज़बूत वृक्ष का रूप धारण करे जिस के अमृत समान मीठे फलों का  देश अनिश्चितकाल तक  रस्सास्वादन   कर सके..... 
हमें अब और सावधान रहने की ज़रुरत है......
अमृत-रुपी विष से बचना होगा....
हर पग सावधानी से उठाना होगा....
अब हम सब को आगे आ एक ऐसे माली का कार्य  करना है जो अपने आने वाले पीढ़ियों को अपने तन,मन और धन  से सींची  गयी विरासत सौंप के जाए जिस से वे पीढियां हम पर गौरवान्वित अनुभव कर सकें.....

अब समय की मांग है कि हमें एक आदर्श स्थापित कर के ही इस संसार से विदा लें........

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