हमारे देशवासियों का जब धैर्य का बाँध टूटने लगा
तो
दैवीय प्रेरणा से,
ब्रह्मांडीय मस्तिष्क ने अपना ताना बाना बुनना शुरू किया........
कुछ ने देखा एक स्वप्न,
एक परिकल्पना से विचार रुपी बीज का हुआ प्रस्फुटन
और
देखते ही देखते यह एक जन सैलाब में परिवर्तित हो गया .......
एक आशा की किरण हम सब को नज़र आई.......
सब जनता तन,मन,धन से जुट गयी इस लड़ाई में........
जन मानस उद्वेलित......
आशा का संचार.....
भ्रष्टाचार से मुक्त जीवन की परिकल्पना से हर भारतीय झूमा.......
बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया आन्दोलन में......
समीक्षात्मक तौर पर देखें तो काफी कुछ पाया है इस आन्दोलन ने.......
आज जनता में आत्मविश्वास का संचार हुआ है......
आज हम ये दावा तो नहीं कर सकते कि भ्रष्टाचार रुपी दानव का सर हम काट पायें हैं....
परन्तु इस की जड़ों पर चोट करने में हम सफल तो हुए ही हैं......
आज भ्रष्टाचार है ,
परन्तु डेढ़ साल के आन्दोलन की ये उपलब्धि तो रही ही है न कि इतने कम समय में आज ये परिवर्तन तो स्पष्टरूपेण दृष्टिमान है कि जो भ्रष्टाचार भारत में एक शिष्टाचार का रूप धारण कर चुका था, उस में संलिप्तता को लोग छिपाते हैं......
आज हर भ्रष्टाचारी में एक भय विद्यमान है......
इसी से हमें संबल प्राप्त कर इसी पथ पर अनवरत बढ़ते जाना है.....
अर्जुन के समान लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित रखते हुए पथ से न डिगना है......
जीत अन्तत: हमारी ही होगी और हम एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत में सांस ले पायेंगे.......
आइये इस कर्म -क्षेत्र में अपने आप पर भरोसा रखें........
very nice
ReplyDeleteThanx
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