Wednesday, May 6, 2020

Welfare State और कोरोना संक्रमण

मैं शुरू से कहती आयी हूँ कि सरकारें welfare state होती हैं। उन का कर्तव्य है नागरिक हित में कार्य करना।
विगत राजनीति ने सरकारों को पथभ्रष्ट कर दिया है और हम सब आरोप प्रत्यारोप में उलझ कर रह गए हैं। 
कोई भी सरकार बिना राजस्व के कार्य नहीं कर सकती।
क्या इस से कोई इनकार कर सकता है
नहीं ना ...
फिर आपदा काल में राजस्व के लिए लिए जा रहे steps पर राजनीति नहीं दूरदर्शिता चाहिए , हम नागरिकों को सरकार की निहित भावना समझनी होगी।  
दिल्ली सरकार का example लेते हैं
शराब पेट्रोल डीज़ल पर कर बढ़ाया गया ...
एक आम दृष्टि से देखें तो विरोध के स्वर उठना शुरू होने चाहिए थे ... आपदाकाल में जब कमाई के साधन नहीं हैं तब ये टैक्स
अब कोरोना संक्रमण काल में welfare state के नज़रिए से देखते हैं  ...
सरकार को अपने नागरिकों की रक्षा करनी है , उन के भोजन का ध्यान रखना है , उन के स्वास्थ्य पर दृष्टि रखनी है और ये सब कार्य बिना राजस्व के सम्भव नहीं  
अब आवाज़ उठेगी कि उपरोक्त दो पर टैक्स बढ़ोतरी क्यूँ
कोरोना संक्रमण काल में हम सब का ये फ़र्ज़ बनता है कि जीवनयापन अति साधारण रूप से किया जाए। हमारे जीवन में अब कुछ समय तक विलास की वस्तु का कोई  स्थान नहीं है - सो दिल्ली सरकार ने नागरिकों तक भोजन स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के लिए राजस्व प्राप्ति हेतु शराब की दुकानें तो खोलीं पर टैक्स बढ़ा दिया ...
इस संक्रमण काल में home bound रहना आवश्यक है , हम नागरिक बाहर निकलना बंद नही कर रहे सो घूमने के साधन के काम में आने वाले पेट्रोल डीज़ल पर अतिरिक्त कर लगा दिया...
अब कुछ लोग कहेंगे कि ये तो मध्यम निम्न वर्ग पर ही चोट है , अमीर को क्या फ़र्क़ पड़ेगा ? तो साथियों वो अमीर वर्ग ही तो indirectly आप ही के लिए राजस्व दे रहा है ... और कड़वा सच भी सुनना चाहते हैं तो सुनिए - अमीर वर्ग तो social distancing के लिए संजीदा है - मध्यम निम्न वर्ग में ही ये संक्रमण फैल रहा है क्यूँकि संजीदा हम ही तो नहीं हैं ...
बस देशहित में कार्य कर रही हैं आज की सभी सरकारें
उन सब का साथ दीजिए
ज़िंदगी रही तो राजनीति भी कर लेना ...  

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