Monday, February 29, 2016

बदलते समय की सशक्त महिलायें ...

अब सहना नहीं है , अब आवाज़ उठा कर उसे अंजाम तक ले जाना है

कब तक मर्यादाओं का बोझ ढोती रहेंगी महिलायें ...

हवस किसी की, बर्बरता कोई करे और इज़्ज़त निरपराध की जाए ??

ये कैसा समाज है ...

महिलाओं बलात्कार से आप का शरीर दूषित नहीं होता वरन उस माँ की कोख दूषित होती है , उस घर की मर्यादा घटती है जिस घर ने उस बलात्कारी जीव को जन्म दिया और उसे मातृ शक्ति का आदर ना करने के संस्कार दिए , मर्यादा उस व्यक्ति की घटती है जो अपनी किसी भी भूख को मर्यादा के दायरे में नहीं बाँध पाया ...


एक बात अब हर महिला को समझनी और गाँठ बांधनी होगी कि बलात्कार उन के साथ हुआ एक दुष्कृत्य है जिस की ज़िम्मेदारी उस घृणित मानसिकता के व्यक्ति और साथ ही उस के परिवार और उस से जुड़े हर व्यक्ति की है ...


बलात्कार करने वाले ने एकांत में नग्नता का प्रदर्शन किया था और उस के बाद उस की नग्नता को समाज के सामने लाना अब आप की ज़िम्मेदारी है , किसी की भी विकृत मानसिकता का बोझ कोई महिला क्यों ढोये ...


जो बलात्कार का शिकार हुई महिला को कलंकित करता है या आरोपित करता है तो समस्त महिला समाज को उसे अपने भारतीय समाज से बहिष्कृत करना होगा ...

ऐसे व्यक्ति से समस्त संबंध विच्छेद करने होंगे, उस की पैरवी करने वाले हर शख्स को बहिष्कृत करना होगा ...

अब महिलाओं को ही अपने आप और अपने समाज को शक्ति प्रदान करने हेतु आगे आना होगा ...

सज़ा बलात्कारी को मिलती है , पीड़ित को नहीं ...

उठिए और अब इस शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाइये ...

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