आज बात करते हैं आरक्षण की ....
पर
साथ ही मेरा अपने सभी साथियों से निवेदन है कि यह एक अति संवेदनशील मुद्दा बन गया है ....
इस लिए
इसे पूर्णता में पढ़िए ……
आक्षेप लगाने से पहले, जो भी आप को समझ आये, मुझ से ज़रूर पूछिये ……
परन्तु मेरे शब्दों को अपनी मानसिकता के साथ जोड़ते हुए विश्लेषण ना कीजिये ……
इस बार मेरे लेख का विश्लेषण मुझ से ही करवाइये …
एक नहीं, हज़ार प्रश्न कीजिये और मैं आप को उत्तर देने को बाध्य हूँ ……
एक बात स्पष्ट कर दूँ -
आरक्षण के बारे में ये मेरी व्यक्तिगत सोच है
और पार्टी की सोच इस से इतर हो सकती है .....
आरक्षण की मैं पक्षधर हूँ
परन्तु
आज के आरक्षण की नहीं ....
अब इस सोच को समझने का प्रयत्न करते हैं .....
जब देश स्वतंत्र हुआ तो उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए दलित वर्ग के आरक्षण की ज़रुरत महसूस हुई ....
ये उस समय के लिए सही था ...
भारतीय संविधान में समयबद्ध आरक्षण रखा गया ....
निश्चित समय पश्चात इस की समयावधि बढ़ाई गयी ....
और आज स्वतंत्रता के 68 साल के बाद भी हमारे राजनैतिक दल जो कि सरकार के रूप में कार्य कर रहे थे इस आरक्षण को पूर्ण रूपेण लागू नहीं कर पाये ....
और
हमारे दलित सह नागरिक आज भी गरीबी और बेकारी का जीवन जीने को मजबूर हैं ....
इस आज की स्थिति के लिए दोषी कौन है ???
# वो सरकारें जो इस आरक्षण का लाभ दलितों को ना दे पायीं ?
# वो राजनैतिक दल जो हमारे दलित साथियों की कमज़ोरी का फायदा उठा कर आरक्षण के नाम पर अपने स्वार्थ की रोटियां सेकने लगे ?
3 वो दलित समाज के ठेकेदार जो अपने ही समाज के लोगों की बेबसी का फायदा उठा कर उन के नेता बन कर अपना स्वार्थ सिद्द करने लगे ?
# वो दलित समाज के अमीर जो आरक्षण का लाभ बार बार लेते रहे और उसे अग्रिम पंक्ति से अंतिम पंक्ति तक नहीं पहुँचने दिया ?
या फिर
# वो दलित साथी जो इतने सालों की आज़ादी के बाद भी अपने भले के लिए दूसरों का ही मुँह ताकते रहे ?
मनन कीजिये ....
दोषी कौन ???
आज समाज में कई वंचित वर्ग हैं और कई सर्व संपन्न .....
खाई लगातार बढ़ती जा रही है.....
भारतीय संविधान के अनुसार भारत का हर गरीब , यहाँ तक कि , भारत का भिखारी भी सरकार को टैक्स देता है और उस टैक्स के पैसे से ही सरकार चलती है ....
सरकार चलती क्या है जी दौड़ती है - आलीशान सरकारी ऑफिस,सरकारी घर,सरकारी गाड़ियों और सरकारी मोटी मोटी तनख्वाहों से ....
जब कि इस विकासशील देश की प्राथमिकता होनी चाहिए सब नागरिकों को कम से कम न्यूनतम बुनियादी जीवन आधार उपलब्ध करवाना .....
जी हाँ हम आरक्षण की बात कर रहे हैं.....
आरक्षण आज भारतीय राजनीति की मजबूरी बन गया है ....
भारतीय राजनीति की डोर वोट बैंक में है ...
हमारी सरकारें और राजनैतिक दल काम कर के वोट नहीं लेना चाहते हैं ....
वे समाज को वर्गों में बाँट कर आसान वोट लेते हैं ....
आरक्षण का मुद्दा सब से आसान वोट बैंक देता है ....
अब इस जाल से हमारे नागरिकों को स्वयं निकालना होगा ....
अपने आप को आरक्षण की सच्चाइयों से रूबरू कीजिये ....
पिछले 68 सालों से चली आ रही आरक्षण व्यवस्था में ऐसा क्या है कि इस से आज तक सम्पूर्ण वंचित वर्ग लाभान्वित नहीं हो पाया है ??
अब खरी खरी कहने और समझने का वक्त आ गया है....
यदि सरकारें कार्य के प्रति समर्पित होतीं तो आरक्षण का लाभ निश्चित समयावधि में ना केवल सभी वंचित वर्ग को मिल चुका होता वरन आज भारत का सामाजिक नक्शा कुछ और ही होता ....
आरक्षण के प्रति ना सरकारें, ना राजनैतिक दल और ना ही समाज के ठेकेदार संजीदा हैं ,,,,,
सब को ही अपनी अपनी रोटियां सेकने से फुर्सत नहीं है ....
अब समय है आँखें खोल कर देखने का....
सच्चाई से रूबरू होने का ....
सभी वंचित वर्ग के भाइयों और बहनों से एक प्रार्थना ....
अपनी आँखें खोलिए - आप ही के समाज के ठेकेदार आरक्षण का लाभ आप तक नहीं पहुँचने दे रहे .....
वे आप की गरीबी और अशिक्षा का फायदा उठा कर आप को भीड़ तंत्र की तरह काम ले रहे हैं और अपने स्वार्थ सिद्द कर रहे हैं ....
आप के आंदोलन की आड़ में कमरों में सौदे होते हैं ....
स्वार्थ के सौदे ....
टिकट और नौकरियों और व्यापार के सौदे ....
और बाहर आ कर आप को लॉलीपॉप पकड़ा दी जाती है जो कि असलियत में किसी काम की नहीं होती वरन उस में अगले आंदोलन के लिए loop holes होते हैं जिनका समय आने पर फिर उपयोग किया जा सके ....
आज सभी मनन करें आप को आरक्षण की दरकार क्यों है ??
क्यूंकि आप आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं .....
यदि आज आप आर्थिक रूप से सक्षम होते तो जातिवाद गौण होता ....
आज का समाज अर्थ आधारित है ....
तो आरक्षण भी उसी के अनुरूप होना चाहिए ना .....
अब बात करते हैं उस आरक्षण की जिस का पक्ष मैं आप सब के सामने रखना चाहती हूँ ....
हाँ मैं आरक्षण की पक्षधर हूँ ....
मैं चाहती हूँ कि जैसे ही भ्रूण माँ की कोख में आये उसे अपनी माँ सहित आरक्षण का लाभ मिलने लगे .....
कोई भी गरीब माँ कुपोषित बच्चा पैदा ना करे .....
कोई भी बच्चा पैदा होने के पश्चात दूध के बिना ना पले और फिर पूरा पोषण लेते हुए बड़ा हो ....
सरकारी स्कूल ऐसे हों जहाँ बच्चों का पूरा दिन ध्यान रखा जाए ....
हर बच्चे पर समान रूप से मेहनत की जाए और उस की रूचि को देखते हुए उस की उच्च शिक्षा का प्रबंध किया जाए ....
आरक्षण काबिलियत का हो और सब को सामान अवसर मिलें .....
सरकारी योजनाएं शिशु केंद्रित हों क्यूंकि ये शिशु ही हमारा भविष्य हैं .....
समान अवसर और समान पोषण और समान शिक्षा के बाद सभी समान रूप से अपनी काबिलियत के अनुसार कार्य करें .....
ऐसे आरक्षण की ज़रुरत है हमारे देश को ....
कोख से कॉलेज तक का आरक्षण - इस की दरकार है समाज को .....
और ये तब ही मिल सकता है जब हम इस आरक्षण के खेले को खेलने वालों पर अपने आप लगाम लगाएंगे.....
हम स्वयं कहेंगे कि आप के जाल में हम नहीं फंसेंगे .....
अब सब आप के हाथ में है चाहे स्वार्थ के हाथ का खिलौना बनिए या अपने सुनहरे भविष्य ओर स्वयं कदम बढाइये .....
पर
साथ ही मेरा अपने सभी साथियों से निवेदन है कि यह एक अति संवेदनशील मुद्दा बन गया है ....
इस लिए
इसे पूर्णता में पढ़िए ……
आक्षेप लगाने से पहले, जो भी आप को समझ आये, मुझ से ज़रूर पूछिये ……
परन्तु मेरे शब्दों को अपनी मानसिकता के साथ जोड़ते हुए विश्लेषण ना कीजिये ……
इस बार मेरे लेख का विश्लेषण मुझ से ही करवाइये …
एक नहीं, हज़ार प्रश्न कीजिये और मैं आप को उत्तर देने को बाध्य हूँ ……
एक बात स्पष्ट कर दूँ -
आरक्षण के बारे में ये मेरी व्यक्तिगत सोच है
और पार्टी की सोच इस से इतर हो सकती है .....
आरक्षण की मैं पक्षधर हूँ
परन्तु
आज के आरक्षण की नहीं ....
अब इस सोच को समझने का प्रयत्न करते हैं .....
जब देश स्वतंत्र हुआ तो उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए दलित वर्ग के आरक्षण की ज़रुरत महसूस हुई ....
ये उस समय के लिए सही था ...
भारतीय संविधान में समयबद्ध आरक्षण रखा गया ....
निश्चित समय पश्चात इस की समयावधि बढ़ाई गयी ....
और आज स्वतंत्रता के 68 साल के बाद भी हमारे राजनैतिक दल जो कि सरकार के रूप में कार्य कर रहे थे इस आरक्षण को पूर्ण रूपेण लागू नहीं कर पाये ....
और
हमारे दलित सह नागरिक आज भी गरीबी और बेकारी का जीवन जीने को मजबूर हैं ....
इस आज की स्थिति के लिए दोषी कौन है ???
# वो सरकारें जो इस आरक्षण का लाभ दलितों को ना दे पायीं ?
# वो राजनैतिक दल जो हमारे दलित साथियों की कमज़ोरी का फायदा उठा कर आरक्षण के नाम पर अपने स्वार्थ की रोटियां सेकने लगे ?
3 वो दलित समाज के ठेकेदार जो अपने ही समाज के लोगों की बेबसी का फायदा उठा कर उन के नेता बन कर अपना स्वार्थ सिद्द करने लगे ?
# वो दलित समाज के अमीर जो आरक्षण का लाभ बार बार लेते रहे और उसे अग्रिम पंक्ति से अंतिम पंक्ति तक नहीं पहुँचने दिया ?
या फिर
# वो दलित साथी जो इतने सालों की आज़ादी के बाद भी अपने भले के लिए दूसरों का ही मुँह ताकते रहे ?
मनन कीजिये ....
दोषी कौन ???
आज समाज में कई वंचित वर्ग हैं और कई सर्व संपन्न .....
खाई लगातार बढ़ती जा रही है.....
भारतीय संविधान के अनुसार भारत का हर गरीब , यहाँ तक कि , भारत का भिखारी भी सरकार को टैक्स देता है और उस टैक्स के पैसे से ही सरकार चलती है ....
सरकार चलती क्या है जी दौड़ती है - आलीशान सरकारी ऑफिस,सरकारी घर,सरकारी गाड़ियों और सरकारी मोटी मोटी तनख्वाहों से ....
जब कि इस विकासशील देश की प्राथमिकता होनी चाहिए सब नागरिकों को कम से कम न्यूनतम बुनियादी जीवन आधार उपलब्ध करवाना .....
जी हाँ हम आरक्षण की बात कर रहे हैं.....
आरक्षण आज भारतीय राजनीति की मजबूरी बन गया है ....
भारतीय राजनीति की डोर वोट बैंक में है ...
हमारी सरकारें और राजनैतिक दल काम कर के वोट नहीं लेना चाहते हैं ....
वे समाज को वर्गों में बाँट कर आसान वोट लेते हैं ....
आरक्षण का मुद्दा सब से आसान वोट बैंक देता है ....
अब इस जाल से हमारे नागरिकों को स्वयं निकालना होगा ....
अपने आप को आरक्षण की सच्चाइयों से रूबरू कीजिये ....
पिछले 68 सालों से चली आ रही आरक्षण व्यवस्था में ऐसा क्या है कि इस से आज तक सम्पूर्ण वंचित वर्ग लाभान्वित नहीं हो पाया है ??
अब खरी खरी कहने और समझने का वक्त आ गया है....
यदि सरकारें कार्य के प्रति समर्पित होतीं तो आरक्षण का लाभ निश्चित समयावधि में ना केवल सभी वंचित वर्ग को मिल चुका होता वरन आज भारत का सामाजिक नक्शा कुछ और ही होता ....
आरक्षण के प्रति ना सरकारें, ना राजनैतिक दल और ना ही समाज के ठेकेदार संजीदा हैं ,,,,,
सब को ही अपनी अपनी रोटियां सेकने से फुर्सत नहीं है ....
अब समय है आँखें खोल कर देखने का....
सच्चाई से रूबरू होने का ....
सभी वंचित वर्ग के भाइयों और बहनों से एक प्रार्थना ....
अपनी आँखें खोलिए - आप ही के समाज के ठेकेदार आरक्षण का लाभ आप तक नहीं पहुँचने दे रहे .....
वे आप की गरीबी और अशिक्षा का फायदा उठा कर आप को भीड़ तंत्र की तरह काम ले रहे हैं और अपने स्वार्थ सिद्द कर रहे हैं ....
आप के आंदोलन की आड़ में कमरों में सौदे होते हैं ....
स्वार्थ के सौदे ....
टिकट और नौकरियों और व्यापार के सौदे ....
और बाहर आ कर आप को लॉलीपॉप पकड़ा दी जाती है जो कि असलियत में किसी काम की नहीं होती वरन उस में अगले आंदोलन के लिए loop holes होते हैं जिनका समय आने पर फिर उपयोग किया जा सके ....
आज सभी मनन करें आप को आरक्षण की दरकार क्यों है ??
क्यूंकि आप आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं .....
यदि आज आप आर्थिक रूप से सक्षम होते तो जातिवाद गौण होता ....
आज का समाज अर्थ आधारित है ....
तो आरक्षण भी उसी के अनुरूप होना चाहिए ना .....
अब बात करते हैं उस आरक्षण की जिस का पक्ष मैं आप सब के सामने रखना चाहती हूँ ....
हाँ मैं आरक्षण की पक्षधर हूँ ....
मैं चाहती हूँ कि जैसे ही भ्रूण माँ की कोख में आये उसे अपनी माँ सहित आरक्षण का लाभ मिलने लगे .....
कोई भी गरीब माँ कुपोषित बच्चा पैदा ना करे .....
कोई भी बच्चा पैदा होने के पश्चात दूध के बिना ना पले और फिर पूरा पोषण लेते हुए बड़ा हो ....
सरकारी स्कूल ऐसे हों जहाँ बच्चों का पूरा दिन ध्यान रखा जाए ....
हर बच्चे पर समान रूप से मेहनत की जाए और उस की रूचि को देखते हुए उस की उच्च शिक्षा का प्रबंध किया जाए ....
आरक्षण काबिलियत का हो और सब को सामान अवसर मिलें .....
सरकारी योजनाएं शिशु केंद्रित हों क्यूंकि ये शिशु ही हमारा भविष्य हैं .....
समान अवसर और समान पोषण और समान शिक्षा के बाद सभी समान रूप से अपनी काबिलियत के अनुसार कार्य करें .....
ऐसे आरक्षण की ज़रुरत है हमारे देश को ....
कोख से कॉलेज तक का आरक्षण - इस की दरकार है समाज को .....
और ये तब ही मिल सकता है जब हम इस आरक्षण के खेले को खेलने वालों पर अपने आप लगाम लगाएंगे.....
हम स्वयं कहेंगे कि आप के जाल में हम नहीं फंसेंगे .....
अब सब आप के हाथ में है चाहे स्वार्थ के हाथ का खिलौना बनिए या अपने सुनहरे भविष्य ओर स्वयं कदम बढाइये .....
No comments:
Post a Comment