Friday, May 15, 2015

आज अजमेर फिर ठगा गया

अखबार के माध्यम से सूचना मिली कि अजमेर में अवैध निर्माण पर हाई कोर्ट के निर्णय के अनुसार गाज गिरेगी....

ह्रदय को संतोष हुआ कि अजमेर स्मार्ट सिटी की ओर एक कदम बढ़ा .....

परंतु

मस्तिष्क में एक विचार कुलबुलाया कि क्या इस अवैध निर्माण के लिए सिर्फ अवैध निर्माण मालिक ही दोषी है क्या ?

निस्संदेह नहीं ...

हम कार्यवाही की गाज सिर्फ भवन मालिक पर ही नहीं गिरा सकते ...

*क्या इस में वो पार्षद दोषी नहीं जिस की नाक तले ये निर्माण हुआ ...

*क्या वो निगम अधिकारी दोषी नहीं जिस की ड्यूटी है कि वो समय समय पर अपने कार्य क्षेत्र का दौरा करे और निगाह रखे ...

*क्या वो निगम का अधिकारी दोषी नहीं जिस ने घरेलू नक्शा पास कर के व्यावसायिक भवन को completion certificate दिया?

*क्या वो निगम कर्मचारी दोषी नहीं जो रोज़ उस वार्ड में काम करता है ?

और

साथ ही

*क्या वो आम आदमी दोषी नहीं जिस ने पडोसी से सम्बन्ध के कारण उसे देख के अनदेखा किया ?

फिर गाज निर्माण मालिक पर ही क्यों ?

हमारे विश्लेषण का ये अर्थ कदापि नहीं कि हम भवन मालिक को किसी भी प्रकार की रियायत देने के पक्षधर हैं ...

जो व्यक्ति आज अपने लाखों रुपये डूबने की दुहाई दे रहा है वो निर्माण करवाते समय ये भली भाँति जानता था कि ये निर्माण अवैध है और फिर भी उस ने नियमों को दर किनार कर अपने स्वार्थ को तरजीह दी ...

वो कदापि दया का पात्र नहीं है और उस पर कठोर कार्यवाही बनती है ...

परंतु

मुद्दा ये है कि क्या अब जागरूकता के इस माहौल में भवन मालिक के साथ मिल कर अवैध निर्माण के साथी रहे पार्षद ,अफसर और कर्मचारियों को यूँ ही छोड़ देना चाहिए ?

क्या उन की जवाबदेही नहीं बनती ?

हम तो इस बात के पक्षधर हैं कि मालिक के साथ साथ दोषी निगम पार्षद व निगम कर्मियों को भी दंड मिलना चाहिए ...

और

उन की अपने अपने क्षेत्र के लिए जवाबदेही तय की जानी चाहिए ...

हर निगम कर्मी को एक निश्चित समयावधि में लिखित में ये रिपोर्ट सौंपनी चाहिए कि उन के क्षेत्र में कोई अवैध निर्माण व अतिक्रमण नहीं हो रहा ...

और

यदि कभी भी कोई अतिक्रमण या अवैध निर्माण पाया जाता है तो उस निगम कर्मी को दण्डित करने का प्रावधान होना चाहिए ...

आज ये ही सब सोच कर आम आदमी पार्टी अजमेर के सदस्यों ने नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को इस बाबत एक ज्ञापन देने की ठानी ...

परंतु

आज माननीय उच्च न्यायालय के एक फैसले के कारण उस ज्ञापन का औचित्य नहीं रहा ...

आज माननीय अदालत ने अवैध निर्माणों को सीज़ करने की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए उन के नियमन की अनुशंसा की ...

(कोर्ट का पूर्ण आदेश नहीं प्राप्त होने के कारण पूर्ण टिप्पणी नहीं कर पा रहे )

आज अजमेर फिर ठगा गया ...

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