कल के समाचार पत्रों की सुर्खियां थी कि फर्जी अंकतालिका लगा कर चुनाव लड़ा,27 सरपंच बने ,18 पर केस....
चलिए मामले का पटाक्षेप हो गया ...
उन की सदस्यता रद्द हो जायेगी ...
परंतु क्या मुद्दा सिर्फ ये ही है ?
दोबारा चुनाव होंगे ...
जनता के खून पसीने की कमाई के टैक्स के पैसे फिर काम आएंगे ...
कुछ ध्यान देने योग्य बातें हैं कि
1. जिन्होंने फर्जी अंकतालिकाएं बनायीं उन पर कैसे अंकुश लगाया जाएगा कि वे ऐसा दोबारा ना कर सकें ?
2. जिन्होनें उन फर्जी अंकतालिकाओं को जांचा उन पर क्या कार्यवाही होगी जिस से दोबारा जनता के टैक्स का पैसा व्यर्थ जाया ना हो ?
3. जिन्होंने फर्जी अंकतालिकाओं का उपयोग किया उन पर क्या कार्यवाही होगी जिस से वे दोबारा ऐसा ना कर पाएं ...
कायदे सी तो उन को मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें जीवन भर के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा देनी चाहिए ...
चुनाव के पैसों की रिकवरी इन फ़र्ज़ी अंकतालिका वाले सरपंचों और जांचने वाले कर्मचारियों से वसूली जानी चाहिए...
जब तक हम व्यवस्था में जवाबदेही तय कर उन्हें कड़े दंड की व्यवस्था नहीं करेंगे ऐसा ही चलता रहेगा ...
तो अब हक़ से अपने टैक्स के पैसे की सही उपयोग हेतु सावचेत रहिये और दिशा निर्देश तय करिये ...
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