Saturday, April 20, 2013

सत्यता के धरातल पर योजनाओं की सच्चाई - राजस्थान का सच - A Series


चुनाव का शंखनाद होते ही राजनैतिक पार्टियों की गतिविधियों को मानो पंख लग जाते हैं । 
शुरू हो जाता है घोषणाओं का दौर ...
सरकार अपनी योजनाओं को बढ़ा चढ़ा कर पेश करती है और विपक्ष उस की टांग खिंचाई । 
सत्यता को दोनों नकारते हैं ....एक धरातल की सच्चाई को और दूसरा उपलब्धियों को । 
दरकार है तो अब एक निष्पक्ष आँख की जो सरकारी योजनाओं और घोषणाओं को धरातल पर आंकें । 
आइये हम अब से राजस्थान सरकार की घोषणाओं और योजनाओं का सच सब के सामने लायें । 
विधान सभा चुनाव नज़दीक हैं और राजस्थान सरकार वाहवाही लूटने का कोई मौका अपने हाथों से नहीं जाने देना चाहती । 
आचार संहिता लगने में कुछ माह का समय बाकी है और कांग्रेस सरकार इस से पहले ही अपनी योजनाओं का लाभ लेना चाहती है । 
राज्य सरकार नित नयी घोषणाएं कर रही है और हर वर्ग को लुभाने में जुटी है । 

पर सवाल ये है कि उन पुरानी योजनाओं का क्या हुआ ?
 कितनों को लाभ मिला ? 
कौन कौन सी घोषणाएं पूरी हुई ? 
 उस घोषणा पत्र  का क्या हुआ जिसे दिखा कर वे सत्ता के गलियारों में पैठ कर पाए हैं ?

आइये इन सब पर चर्चा शुरू करें .....


1. सामाजिक और आर्थिक बदलाव वाली योजनाओं की कडवी हकीकत - 


सब से पहले विधवाओं से जुडी योजनाओं की बात करते हैं -

भारत के विभिन्न राज्यों में विधवा पेंशन योजनायें लागू हैं । 

आइये देखें कौन सा राज्य विधवा महिलाओं को कितनी मासिक पेंशन दे रहा है -
दिल्ली - 1500 रुपये प्रति माह 
हरियाणा - 750  रुपये प्रति माह 
महाराष्ट्र - 600 रुपये प्रति माह 
राजस्थान - 500 रुपये प्रति माह 

राजस्थान में विधवा महिलाओं की संख्या है 19 लाख और पेंशन का लाभ मिल रहा है मात्र 4 लाख महिलाओं को । 

राजस्थान में 19 लाख विधवाओं में से 80 % अपने ही हाल पर जिंदा हैं । 

सरकार मदद के नाम पर देती है 500 रुपये प्रति माह पेंशन,खुद के पुनर्विवाह के लिए 15,000 और बेटी हो तो उस के विवाह के लिए 10,000 रु ।
 इस में भी नियम -कायदों का मकडजाल । सरकारी कर्मचारियों -अफसरों और दफ्तरों के अनगिनित चक्कर और साथ ही सुरसा के मुंह के समान कुछ पाने की लालसा लिए दलाल ....
यही वजह है कि विधवा महिला मेहनत  मजदूरी कर अपना और अपने बच्चों का गुज़ारा कर रही है ....

पारदर्शी और संवेदनशील सरकार देने का वादा करने वाली कांग्रेस पिछले चार वर्षों में सिर्फ एक योजना को ही ठीक से धरातल पर कारगर नहीं बना पायी है .....

# योजनायें सिर्फ कागजों में - 

बजट अध्ययन केंद्र राजस्थान के अनुसार महिलाओं के लिए 11 विभागों में करीब 18 योजनायें हैं । इन में से यदि विधवा पेंशन को छोड़ दें तो लगभग सभी योजनायें कागजों तक सीमित हैं,लोगों को उन की जानकारी तक नहीं है और तो और विधवा महिलाओं से जुडी कई योजनाओं के तो विभागों के पास आंकड़े तक उपलब्ध नहीं हैं । 

जैसे - 

1. राज्य में 18 से 50 साल तक की विधवाओं के लिए पुनर्विवाह पर 15,000 रु देने का प्रावधान है । 
* इस योजना में  वर्ष 2009 -10 में 2.85 लाख रु का प्रावधान था ।
 वर्ष 2012-13 में इसे बढ़ा कर 5.00 लाख कर दिया गया । 
* इस में सितम्बर 12 तक मात्र 30,000 रु खर्च हुए थे । 
* लाभ लेने वाली विधवा महिलाओं की संख्या 19 से घट कर 2 पर आ गयी । 

2. विधवाओं की पुत्रियों के विवाह के लिए अनुदान योजना में विधवाओं की बेटी (अधिकतम 2 ) के विवाह के लिए 10,000 रु देने का प्रावधान है । 
* इस में वर्ष 2007-08 में जहाँ 2349 विधवाओं ने सहायता ली थी वहीँ दिसम्बर 2011 तक इन की संख्या घट कर 723 पर आ गयी । 
* बजट में भी  234.90 लाख से घट कर 72.30 लाख रु रह गया । 


सरकार नित लोक लुभावनी घोषणाएं तो कर रही है पर अपनी इन योजनाओं को बीते चार सालों को कसौटी पर नहीं तोल रही और आम जनता को इस लुभावने मकडजाल में उलझा रही है । 
अब आम आदमी को अपनी आँखें खोल कर इन योजनाओं के गणित को समझना और परखना होगा ....
और आप की आँखें खोलने में साथ देंगे हम ......

 - ( आंकडें और कुछ सामग्री साभार दैनिक भास्कर )

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